उलझा हुआ कोई धागा सा हूँ,
तू छूकर मुझे रेशम बना दे ना !!
इधर-उधर भटकता जैसे कोई परिंदा सा,
तू पास बुलाकर मरहम लगा दे ना !!
Archive for category: शायरी
ले कटोरा हाथ में चल दिया हूँ फूटपाथ पे
अपनी रोजी रोटी की तलाश में
मैं भी पढना लिखना चाहता हूँ साहब
मैं भी आगे बढ़ना चाहता हूँ साहब
मैं भी खिलौनों से खेलना चाहता हूँ साहब
रुक जाता हूँ देखकर अपने हालात को
क्योंकि साहब मैं अनाथ हूँ।
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मेरे नज्म की वो खूबसूरत पंक्ति हो तुम,
जिसके जिक्र के बिना समा ‘इर्शाद-इर्शाद’
और जिक्र के बाद ‘वाह-वाह ‘ से गूँज उठता है !!
सुनो जो गीत गाऊं मैं पढ़ो अखबार हो जाऊँ,
हो सजना औऱ संवरना तो गुले गुलज़ार हो जाऊँ !!
तुम्हारे प्यार में बोलो तो मैं हर हद गुज़र जाऊँ,
रहो जो साथ तुम मेरे तो नित इतवार हो जाऊँ !!
सुनाई देते है कई अलफ़ाज़ मगर,
अपनों सी उनमें बात नहीं होती !!
होती नहीं जिस पल मौजूदगी तुम्हारी,
उस पल हसीन मुलाकात नहीं होती !!
ज़िन्दगी मझधार है,
हम फ़िर भी जीए जा रहे हैं ।
महज़ तेरी याद से,
ग़म-दर्द सीए जा रहे हैं ।
ज़िन्दगी मझधार है !
तुम्हें मुसर्रत हो मुबारक,
जफ़ा की सौगात में ।
हम तो समंदर पीर का,
मयकदों में पीए जा रहे हैं ।
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मैंने कहा इन बारिश की बूँदों को
जरा जमकर बरसे प्रियसी की गली में
ऊष्मा से दहकते उनकी गलियों को
अपनी शीतल बूंदों की चादर चढ़ा दे
कि आँगन में उनका नृत्य करना हो
मेरा अबोध भाव से उन्हें देखना हो ।
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चलो बहनो, राखी बांधे,
भारत माँ के लालों को !!
चलो बहनों, तिलक लगाएं,
वतन बचाने वालों को !!
वे सीमा पर अडिग खड़े हैं,
दुश्मन को ललकार रहे हैं !!
हिमालय के हिम शिखरों पर,
आगे बढ़ दहाड़ रहे हैं !!
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दुनिया में इंसान खुद को ऐसे उठाना चाहता है।
हर एक शख्स यहाँ दूसरे को गिराना चाहता है।
भीतर पल रही नफ़रत की आग मन में, “केशव”
लेकिन मीठी बातों से प्यार दिखाना चाहता हैं।
गिरते-गिरते भी चलना जरूरी हैं।
हर क़दम पर संभलना जरूरी हैं।
माना एक गहरा दरिया हैं ज़िन्दगी,
मगर हर हाल में गुजरना जरूरी हैं।
नम आँखों से भी हँसना जरूरी हैं।
मुसीबतों में रोज फंसना जरूरी हैं।
यहाँ दुनिया में कोई ना देगा खैरात,
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