Sach Kahe Tab Raat Nahi Hoti - Sad Love Shayari
शेर
NiVo (Nitin Verma)

दिन ढ़ले जब बात नहीं होती,
सच कहें तब रात नहीं होती !!

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Khuda Se Nahi Naarazgi - Sad Hindi Shayari
शायरी
Jayen PARESHBHAI sojitra

खुदा से नहीं नाराजगी,
बस खुद से नाराज़ हूँ !!
बहुत सी है बातें लबों पे,
पर दिल से बेआवाज़ हूँ !!

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Yahi Khitaab Kaafi Hai - Sad Hindi Shayari
शायरी
seervi prakash panwar

ये जो आख़िरी है, वो ही निशान काफ़ी है…
हमारे बदले का सिर्फ, यही हिसाब काफ़ी है !!
क्यो बुलवाते हो गैरों से कि तुम हो…
हमे मारने का, यही ख़िताब काफ़ी है !!

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Dil Ki Khwaishein Mujhe - Hindi Life Shayari
शेर
Lokesh Gautam(Keshav)

दिल की ख्वाहिशें मुझे कहाँ तक उड़ाएगी,
ये आसमान की चाहत, ज़मीन भी छुड़ाएगी !!

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Dost Ka Saath Chhod Diya - Dosti Hindi Sad Shayari
शायरी
Jayen PARESHBHAI sojitra

एक नये प्यार ने पुरानी
दोस्ती का भरोसा तोड़ दिया,
एक बेवफा लड़की के लिए बचपन
के दोस्त का साथ छोड़ दिया !!

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Duniya Mein Agar Rang Kaala Na Hota - Colorism Bhedbhav Hindi Shayari
ग़ज़ल
NiVo (Nitin Verma)

कच्ची रोटियों से क्या पेट भरता कभी,
वो तवा वो चूल्हा अगर काला ना होता !!

पूरी गज़ल के लिए क्लिक करे!

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Ghar Dikhta Shmshaan Hai - Domestic Violence Greh Kaleh Hindi Shayari
शायरी
NiVo (Nitin Verma)

चार दिवारी में रहते, चार लोग बेजान है,
शोर होता है फिर भी सब कुछ बड़ा सुनसान है !!
बात कोई करता नहीं सब लड़ने को तैयार है,
कब्र कोई दिखती नहीं पर घर दिखता श्मशान है !!

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Phir Garib Khoon Ke Aansoo Ro Raha - Lockdown Migrants Hindi Shayari
शायरी
Shivnitya (Khwabon.ka.samndar)

अमीर तो है महफूज़ यहाँ,
अपनों के संग समय बिता रहे !!
गरीब भूखे पेट कहाँ जाए,
जो सड़कों पर मजबूर चिल्ला रहे !!

एक वक़्त की रोटी के लिए,
ये गरीब हर रोज़ तड़पता है !!
मुस्कुरा कर फिर भी देश को,
खुद से पहले रखता है !!

पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे!

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Kaanch Si Hai Wo - Hindi Shayari For Woman Girl
शायरी
NiVo (Nitin Verma)

काँच सी है वो
एकदम पारदर्शी
कोई बनावट नहीं
कोई दिखावट नहीं
विनम्र है इतनी कि
भावुकता में टूट जाती है
नाराज़ होती है अगर
तो खुद से कहीं छूट जाती है…

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Patther Ki Moorat Ho - Aaj Ke Duar Ki Aakrosh Hindi Kavita
शायरी
Aman Jha

जब किसी का घर सुलगते हुए,
किसी स्त्री का देह नोंचते हुए,
दुर्बल पर आघात करते हुए,
तुम्हारे हाथों की कंपन से,
देह अग्नि के भाती दहक ना उठे,
तो तुम सिर्फ पत्थर की मूरत हो !!

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