निराशा का ये मंज़र और गम के
काले बादल जल्द छट जाएंगे !!
तू बढ़ता रह मंज़िल की ओर
हर कदम फ़ासले घट जाएंगे !!
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सेना पर शक, शंका, सवाल ना हो,
देश के ख़िलाफ़ कोई जबान ना हो !!
नफरत अपनो से नही दुश्मन से करो,
ताकि हिंदुस्तान मे कोई बवाल ना हो !!
मैं पढ़ता भी हूँ और पढ़ाता भी हूँ,
सत्ता से सवाल करना सिखाता भी हूँ,
तर्कवादी बने के लिए उकसाता भी हूँ,
सत्ता से संघर्ष ही धर्म हैं बतलाता भी हूँ,
इसलिए मैं देशद्रोही कहलाता हूँ !!
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दुनिया की नजरों में, वही शख्स बेचारा हुआ,
हालातों से लड़कर, जो खड़ा ना दोबारा हुआ !!
तेरी ज़िन्दगी तो एक इम्तिहान जैसी है ‘केशव’,
इसमें नाकाम इंसान, कहाँ किसी को प्यारा हुआ !!
मेरी हर मुश्किल घड़ी में हमेशा मेरा साथ निभाते हो,
पिता तुम मेरी शक्ति हो हर मोड़ पे मुझे मज़बूत बनाते हो !!
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मैं नहीं मानता इंसानों द्वारा बनाए,
किसी दकियानूसी रीति रिवाज को,
धर्म के नाम पर विभाजित तेरे
इस समाज को,
ना मैं पत्थर पूजू, ना ही कब्र में दफन इंसान को,
नकारता हूँ किसी सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी
इंसान के होने के अस्तित्व को,
जी हाँ मैं नास्तिक हूँ !!
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ज़रा सा भी मुझे कुछ हो जाए तो
बड़ा फ़िक्र करती है !!
अपने दोस्तों से भी खुद से ज्यादा
मेरा ज़िक्र करती है !!
कोशिश तो बहुत की तुम्हें पाने की,
पर अफसोस तुम्हें पा ना सके…
दिल में बैठाकर तो रखा था तुम्हें,
पर असल ज़िन्दगी में तुम्हें ला ना सके…
मेरी इस शक्ल के पीछे, दबे कई चेहरे हैं,
मुस्कान के नीचे दफन, कई राज गहरे हैं !!
नहीं डरता मैं इन अंधेरे गलियारों से यारों,
क्योंकि इनके सुराखो में छिपे कई सवेरे हैं !!
खुदा से नहीं नाराजगी,
बस खुद से नाराज़ हूँ !!
बहुत सी है बातें लबों पे,
पर दिल से बेआवाज़ हूँ !!