हम दुनिया की सभी कलमो का प्रयोग करें तो भी उनमें इतनी सामर्थ्य नहीं जो “माँ” के प्यार , भावना और स्नेह को व्यक्त कर सके , तो भला “माँ” के लिए कुछ कर पाना तो बहुत दूर की बात है। एक माँ ही ऐसी होती है जो बिना किसी स्वार्थ व लालसा के हमे इस दुनिया में आने का मौका देती है और जीवन भर प्रेम करती है। माँ ने हमे जन्म दिया तो बस यही सोचकर कि “हम अपने बचपन में उसको उसका बचपन दिखा सके “। माँ के द्वारा हम पर किये गए अहसानों के लिए हम कई जन्म भी लगा दें तो भी उसका ऋण नहीं उतार सकते, लेकिन , क्या यह सच है ? मैं इस बात को नहीं मानता । हमारे जन्म के साथ कई सारी खुशियों और भावनाओं का जन्म होता है। हमे तो याद भी नहीं होता कि हमारे जन्म के वक़्त कितने लोगो की खुशियों का जन्म हुआ और किसकी कितनी उम्मीदों की सूचियाँ बनने लगी थी । माँ का ह्रदय तब भी इतना कोमल व पावन होता है कि वह बिना कोई सपना संजोय , बिना कोई उम्मीदों की सूची बनाये , डॉक्टर से सबसे पहला सवाल यही पूछती है कि “मेरा बच्चा ठीक है न ?” जब तक वह हमे अर्थात अपने बच्चे को देख नहीं लेती, उसकी रूह को ज़रा भी सुकून नहीं मिलता ।
जैसे- जैसे हम बड़े होने लगते है वैसे-वैसे ही हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इतना उलझने लगते है कि हम अपने कर्तव्यों से परे होने लगते है ।भूल जाते है वो सब सपने और उम्मीदों की सूची । लेकिन माँ के प्यार को याद रखकर हम उनकी खुशियो को जन्म दे सकते है । उम्मीदों पर खरा उतरकर एक नई मिसाल को जन्म दे सकते है । कुछ पंक्तियाँ कहता हूँ –
फूल है हम उस बगियाँ के ,
जिसकी माली है प्यारी माँ !!
महका देती वो घर आँगन,
हमसे भी उम्मीदें रखती माँ !!
बन मत जाना तरु कंटीला,
रुला न देना अपनी माँ !!
एक माली घर को नहीं महका सकता इसीलिए वो फूलो को उगाता हैं, वह यही सोच कर फूल लगाता है कि वे घर आँगन महकायेंगे लेकिन जब वही फूल रोग ग्रस्त हो जाते है तो माली पछताने लगता अपने कर्म पर । इसी तरह माँ भी माली है और हम उसके आँगन के फूल, अगर हम प्रेम नहीं करते और उम्मीदों पर खरा नहीं
उतर पाते तो माँ को दुःख पहुँचता है । जैसे हमारे जन्म के वक़्त माँ खुश हुई थी वैसे ही उसकी खुशियों को सजा कर , उसके ख्वाबों को पूरा करके , हम अपनी माँ को नई खुशियों के जन्म का एहसास करा सकते है।
Written By : Nitin Verma