शायरी लापरवाह है इतना ये दिल मेरा, लगता नहीं ये उसके काबिल है !! धूमिल-धूमिल सा है अक्स उसका, पर ज़हन में वो मुकम्मल शामिल है !! Read More » नवम्बर 11, 2019 1:42 पूर्वाह्न 1 टिप्पणी
शायरी ” क्यों, कहाँ, कैसे ” खामखाँ तेरा अब कोई सवाल नहीं आता !! तो क्या मैं समझ लूँ, तुझे मेरा अब ख्याल नहीं आता !! Read More » नवम्बर 11, 2019 12:53 पूर्वाह्न कोई टिप्पणी नहीं