
शायरी

मोम के मानिंद जैसे उम्र पिघल-पिघल जाती हैं,
यादें आइने पर पड़ी धूल-सी धुंधली हो जाती हैं,
यादें, जिंदगी के कुछ किस्से, कुछ कहानी हो गई,
कहें भी तो कैसे ये कहानी तो सदियों पुरानी हो गई,
आज यादों की पुरानी अलमारी खुल गई !!
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