मेरे लड़कपन पर वो पहला वार था,
बड़ा हसीन वो मेरा पहला प्यार था !!
दोनों मोहब्बत में, यारों डरा करते थे,
मन ही मन एक दूजे पर मरा करते थे !!
वो पंद्रह की, मेरा सोहलवां साल था,
बड़ा हसीन वो मेरा पहला प्यार था !!
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Archive for date: अप्रैल 23rd, 2020
बहुत रंगों से मिलकर बनी तेरी ये रंगीन साड़ी हैं,
बेरंग सी मेरी जिंदगी में, देखो भर्ती ये रंग सारी हैं !!
प्रात: खुशियों से भर जाती, शाम अभिसार में जाती हैं,
सागर की लहरों सी ऊर्जा, देख तुम्हें साड़ी में मिल जाती हैं !!
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उसने भी अपने चेहरे पर मुखौटा लगाया था,
जितना मेरे लिए ज़रुरी था उतना ही दिखाया था !!
मैं तो इश्क़ में नादान था,
तेरी बेवफाईयों से अनजान था !!
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ज़मीं पर पड़ी तड़प रही थी इंसानियत,
हाथ में लाठी लिए हैवान जश्न मना रहे थे !!
खुद को लपेट कर मूर्खता के लिबास में,
ज्ञान और आचरण को कफ़न पहना रहे थे !!
आँखों और ज़ुल्फ़ों से जान ले लेता ये,
खूबसरत सा दिख रहा कहर हैं ये इश्क़ !!
शांत से दरिए के लिबास में छुपा हुआ,
समंदर की तूफानी लहर सा हैं ये इश्क !!
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ये तुम्हारी कारी कजरारी नज़रे,
पर्वत सी दृढ़ता का प्रतीक बन जाती हैं,
कभी श्वेत सी दिखती ये नज़रे,
तेरे पावन मन को दिखला जाती है !!
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