शायरी जश्न की चाह में जब टूटी हसीन नींद, तो वाकिफ़ हुआ मैं कितना बदनसीब था !! देख रहा था जो ख़्वाब ना मुक़म्मल हुआ, और ना असल में मैं मंज़िल के करीब था !! Read More » मई 4, 2020 7:03 अपराह्न 1 टिप्पणी