शायरी काँच सी है वो एकदम पारदर्शी कोई बनावट नहीं कोई दिखावट नहीं विनम्र है इतनी कि भावुकता में टूट जाती है नाराज़ होती है अगर तो खुद से कहीं छूट जाती है… Read More » जून 3, 2020 7:32 अपराह्न कोई टिप्पणी नहीं
शायरी जब किसी का घर सुलगते हुए, किसी स्त्री का देह नोंचते हुए, दुर्बल पर आघात करते हुए, तुम्हारे हाथों की कंपन से, देह अग्नि के भाती दहक ना उठे, तो तुम सिर्फ पत्थर की मूरत हो !! … पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे! Read More » जून 3, 2020 7:19 अपराह्न कोई टिप्पणी नहीं
शेर ख्वाहिश ना कर बहुत कुछ पाने की तू केशव, तालाब से प्यास बुझा करती हैं, समुंद्रो से नहीं !! Read More » जून 3, 2020 6:47 अपराह्न कोई टिप्पणी नहीं