
शायरी

अमीर तो है महफूज़ यहाँ,
अपनों के संग समय बिता रहे !!
गरीब भूखे पेट कहाँ जाए,
जो सड़कों पर मजबूर चिल्ला रहे !!
एक वक़्त की रोटी के लिए,
ये गरीब हर रोज़ तड़पता है !!
मुस्कुरा कर फिर भी देश को,
खुद से पहले रखता है !!
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