जुलाई 23, 2020

Chulhaa Maa Aur Main - Maatr Prem Par Hindi Kavita
Poems
Aman Jha

गाँव छोड़ शहर आए कई वर्ष हो गए
एक धुंधली सी याद आज भी
मेरे ज़हन में रह गई है कहीं
बचपन में जब भी
माँ कपड़े या बर्तन धोने बाड़ी में जाती
मैं जल्दी से रसोई घर में घुस जाता
कढ़ाई चढ़ा कर चूल्हे पर मैं रोज
उसे जलाने की कोशिश करने लगता था
पर कुछ ही समय में मुझे यकीन हो चला था

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E-dil Aukaat Mein Reh - Sad Love Hindi Shayari
शायरी
dhawal joshi

गुलाम हैं तू, गुलामगिरी कर,
ए-दिल औकात में रह, मोहब्बत न कर !!

कमज़ोर हैं टूट जाएगा, बिखर जाएगा, अहंकार ना कर,
ए-दिल औकात में रह, मोहब्बत न कर !!

हैं ग़र फिर भी गुमान तुझे, तो खुद को साबित कर,
ए-दिल औकात में रह, मोहब्बत न कर !!

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