शायरी
गिरते-गिरते भी चलना जरूरी हैं।
हर क़दम पर संभलना जरूरी हैं।
माना एक गहरा दरिया हैं ज़िन्दगी,
मगर हर हाल में गुजरना जरूरी हैं।
नम आँखों से भी हँसना जरूरी हैं।
मुसीबतों में रोज फंसना जरूरी हैं।
यहाँ दुनिया में कोई ना देगा खैरात,
…
पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे!