शायरी मेरे नज्म की वो खूबसूरत पंक्ति हो तुम, जिसके जिक्र के बिना समा ‘इर्शाद-इर्शाद’ और जिक्र के बाद ‘वाह-वाह ‘ से गूँज उठता है !! Read More » जुलाई 25, 2021 3:26 अपराह्न कोई टिप्पणी नहीं
शेर उस प्यार का मज़ा ही क्या जो दर्द न दे, ख़ुशी तो बचपन की झूठी जीत में भी मिल जाती थी !! Read More » जुलाई 25, 2021 3:12 अपराह्न कोई टिप्पणी नहीं