सपनों को अपने तुम मन में छुपा लेती हो,
मेरी एक मुस्कान देख ख़ुशी पा लेती हो,
हर ज़िम्मेदारी को बखूबी निभा लेती हो,
माँ तुम कितनी प्यारी हो सब सँवार देती हो!
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एक अजीब सी चल रही ये लहर है,
हर तरफ बिमारी का कहर है !!
अब तो हवा में भी मिल रहा ज़हर है,
मातम में घिर चुका हर शहर है !!
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बेटी जिस दिन पिता के घर जन्म लेती है,
घर में लक्ष्मी का वास कर देती है !!
हाँ जनाब ये नारी पिता पे बोझ नहीं,
ये तो खुशियों से उनकी झोली भर देती है !!
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