मैं पढ़ पढ़ कर शायद अनपढ़ हो रहा था,
बिना समझे ना जाने क्या समझा रहा था !!
किताबों का हर पन्ना सूख कर पीला पड़ रहा था,
किसी कोने में पड़े हर अक्षर पर धूल चढ़ रहा था !!
शहर में धर्म पर खुलेआम शोर हो रहा था,
असल में धर्म किताबों में बंद रो रहा था !!
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