Author Archive for: NiVo (Nitin Verma)
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हम उनके अश्क अपनी पलकों पर रखते रहे,
और वो हर मौड़ पर हमकों परखते रहे !!
हमारे शहर की गलियाँ,
तुम्हारे सफर का हिस्सा थी ?
या फिर भटक गए थे
तुम अपनी राह से !!
अभी उसका जन्मदिन भूले है,
एक दिन उसे भी भूल जाएँगे !!
वाकिफ हूँ दूरी से, इस मजबूरी से,
तुम मेरी जिंदगानी बनकर आना !!
चल सकूं मैं संग तुम्हारे,
तुम एक ऐसी रवानी बनकर आना !!
हिंदी से मेरी शायरी वैसे निखर गई,
जैसे एक बिंदी से कोई दुल्हन सँवर गई !!
टूट कर बिखरा जो मैं,
साथ चलने में उनको घाटा नज़र आया !!
बिखरी तो गुलाब की पंखुड़ियां भी थी,
पर उनको तो बस काँटा नज़र आया !!
जहां तक मुमकिन है,
तुम्हारे साथ रहूँगा !!
हो न सका तुम्हारी सुबह का सूरज,
तो चाँद-ए-रात रहूँगा !!
रात – रात भर जिसका फिक्र करता रहा,
वो कमबख्त किसी और का ज़िक्र करता रहा !!
दवा-ए-इश्क़ जो दी तूने,
हर दर्द अब बेअसर है !!
…
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