Author Archive for: NiVo (Nitin Verma)
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मालूम नहीं क्या कुछ सँवर रहा है,
हाँ! इतना ज़रूर है कि वक़्त गुज़र रहा है !!
लापरवाह है इतना ये दिल मेरा,
लगता नहीं ये उसके काबिल है !!
धूमिल-धूमिल सा है अक्स उसका,
पर ज़हन में वो मुकम्मल शामिल है !!
” क्यों, कहाँ, कैसे ”
खामखाँ तेरा अब कोई सवाल नहीं आता !!
तो क्या मैं समझ लूँ,
तुझे मेरा अब ख्याल नहीं आता !!
ए-ज़िन्दगी कब तलक ये कठिन इम्तिहान होगा,
और कितनों का कितना तुझ पर एहसान होगा !!
हुक्मरानों के हुक्म पे,
गज़ब का शासन चल रहा !!
दिखती नहीं इन्हें कोई लौं यहाँ,
फिर क्यों मेरा देश जल रहा !!
कुछ बदले बदले से नज़र आ रहे हो,
क्या है ऐसा जो हमसे छुपा रहे हो !!
सफर ये इतना आसान नहीं,
बहुत कुछ सहना होगा !!
आएंगे-जाएंगे कई लोग मगर,
तुमको चलते रहना होगा !!
तराश रहा वो इसी आस में,
काश! ये महीने भर का निवाला होगा !!
जलेगी लौं जब माटी के दीपक में,
घर किसी और के भी उजाला होगा !!
एक मंज़िल, एक डगर है मगर,
विपरीत दिशा नज़रों को अखरती है !!
वो चली जाती है ‘नीवो’ दूर मगर,
हमेशा पास से होकर तो गुज़रती है !!