शायरी रोज़ मंज़िल की तलाश में, न जाने कहाँ-कहाँ पहुँच जाता हूँ !! लौटता नहीं कभी खाली हाथ, थोड़ा ज़ख्म, थोड़ा मलहम साथ ख़रोंच लाता हूँ !! Read More » अप्रैल 7, 2020 1:16 पूर्वाह्न कोई टिप्पणी नहीं
शायरी नोंच नोंच सब खा गए, अब बद से बदत्तर हूँ मैं !! कर आए शराफत वहीं दफ़न, अब सम्पूर्ण पत्थर हूँ मैं !! Read More » अप्रैल 7, 2020 12:26 पूर्वाह्न कोई टिप्पणी नहीं