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शायरी

मेरे अंतर्मन की स्वर्णिम ईप्सा
मैंने कहा इन बारिश की बूँदों को
जरा जमकर बरसे प्रियसी की गली में
ऊष्मा से दहकते उनकी गलियों को
अपनी शीतल बूंदों की चादर चढ़ा दे
कि आँगन में उनका नृत्य करना हो
मेरा अबोध भाव से उन्हें देखना हो ।
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अगस्त 17, 2020
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शायरी

चलो बहनो राखी बांधे
चलो बहनो, राखी बांधे,
भारत माँ के लालों को !!
चलो बहनों, तिलक लगाएं,
वतन बचाने वालों को !!
वे सीमा पर अडिग खड़े हैं,
दुश्मन को ललकार रहे हैं !!
हिमालय के हिम शिखरों पर,
आगे बढ़ दहाड़ रहे हैं !!
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अगस्त 5, 2020
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शायरी

दुनिया में इंसान खुद को ऐसे
दुनिया में इंसान खुद को ऐसे उठाना चाहता है।
हर एक शख्स यहाँ दूसरे को गिराना चाहता है।
भीतर पल रही नफ़रत की आग मन में, “केशव”
लेकिन मीठी बातों से प्यार दिखाना चाहता हैं।
जुलाई 29, 2020
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