ले कटोरा हाथ में चल दिया हूँ फूटपाथ पे
अपनी रोजी रोटी की तलाश में
मैं भी पढना लिखना चाहता हूँ साहब
मैं भी आगे बढ़ना चाहता हूँ साहब
मैं भी खिलौनों से खेलना चाहता हूँ साहब
रुक जाता हूँ देखकर अपने हालात को
क्योंकि साहब मैं अनाथ हूँ।
…
पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे!
Tag Archive for: जिंदगी
शायरी
शेर
ज़रूरी नहीं मिले विचार तुम्हारे सभी से यहाँ,
तुम्हीं बताओं आसमाँ मिले ज़मीं से कहाँ ?
जुलाई 24, 2021
4:57 अपराह्न
कोई टिप्पणी नहीं
शेर
नहीं ऐसी कोई ख्वाइश कि बीते कल मिल जाए,
बस दिन ढलने के बाद फ़ुर्सत के दो पल मिल जाए !!
जून 9, 2021
4:54 अपराह्न
कोई टिप्पणी नहीं
शेर
कुछ देर सफ़र में हम क्या रुके,
लोग हाथ छुड़ा कर चलने लगे !!
अगस्त 19, 2020
2:15 अपराह्न
कोई टिप्पणी नहीं
शेर
लाख उम्मीद थी जिनसे हमें,
वो फिर लाखों की बस बातें करके चल दिए !!
मई 14, 2020
9:41 अपराह्न
कोई टिप्पणी नहीं
शेर
लफ़्ज़ों को किताबों से बस चुनकर बोलते है,
दुनिया में अब लोग कहाँ खुलकर बोलते हैं !!
मई 7, 2020
7:51 अपराह्न
कोई टिप्पणी नहीं
शेर
आइने से ज्यादा सच्चा कोई दोस्त नहीं,
मैं रोता हूँ तो ये भी रो पड़ता है !!
मई 3, 2020
2:44 पूर्वाह्न
कोई टिप्पणी नहीं
शेर
जीने की कोशिश तो करो,
जीने की वजह हजारों मिलेंगी !!
मई 3, 2020
12:36 पूर्वाह्न
कोई टिप्पणी नहीं
शेर
यूँ शक्ल पर अपनी उदासी की चादर ना ओढ़िए,
समय ख़राब हो फिर भी मुस्कुराने का हुनर सीखिए !!
मई 1, 2020
10:11 अपराह्न
कोई टिप्पणी नहीं
शेर
रोटी के लिए अपने गाँव से दूर हो जाना,
आसान नहीं केशव तेरा मजदूर हो जाना !!
मई 1, 2020
3:16 अपराह्न
कोई टिप्पणी नहीं