कैसे पलटने दूँ तुम्हें, अपनी मोहब्बत के पन्ने,
जनाब ये दिल की बात है,अखबार थोड़े हैं !!
रहे दफन मेरा इश्क़ मेरे अंदर, तो अच्छा हैं,
मातम का माहौल हैं भीतर, त्यौहार थोड़े हैं !!
वक़्त ऐसा आया कि
सिर से छत छीन ली गई !!
बच्चे हमारे भूखे है
इन सरकारों से
दो वक़्त की रोटी तक ना दी गई !!
आज दिल वापस
गाँव जाने को जरूर है साहिब !!
हम मजदूर है साहिब !!
किस्मत के आगे मजबूर है साहिब !!
…
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