शायरी मैंने कहा इन बारिश की बूँदों को जरा जमकर बरसे प्रियसी की गली में ऊष्मा से दहकते उनकी गलियों को अपनी शीतल बूंदों की चादर चढ़ा दे कि आँगन में उनका नृत्य करना हो मेरा अबोध भाव से उन्हें देखना हो । … पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे! Read More » अगस्त 17, 2020 1:29 पूर्वाह्न कोई टिप्पणी नहीं