शायरी वक़्त बे वक़्त शाम भी होगी, ज़ुल्फ़ों को चहेरे पर ज़रा बिखराओ तो !! अधूरी चाहते तमाम भी होगी, अपने लबों को ज़रा नज़दीक लाओ तो !! Read More » अगस्त 9, 2019 12:59 अपराह्न कोई टिप्पणी नहीं
शायरी दिखता नहीं चेहरा पूरा बस, मोबाइल और नज़रे नज़र आती हैं !! वो शीशे के सामने वाली सेल्फ़ी, अक्सर दिल में हलचल कर जाती है !! Read More » अगस्त 9, 2019 12:48 अपराह्न कोई टिप्पणी नहीं