ले कटोरा हाथ में चल दिया हूँ फूटपाथ पे
अपनी रोजी रोटी की तलाश में
मैं भी पढना लिखना चाहता हूँ साहब
मैं भी आगे बढ़ना चाहता हूँ साहब
मैं भी खिलौनों से खेलना चाहता हूँ साहब
रुक जाता हूँ देखकर अपने हालात को
क्योंकि साहब मैं अनाथ हूँ।
…
पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे!
सुनो जो गीत गाऊं मैं पढ़ो अखबार हो जाऊँ,
हो सजना औऱ संवरना तो गुले गुलज़ार हो जाऊँ !!
तुम्हारे प्यार में बोलो तो मैं हर हद गुज़र जाऊँ,
रहो जो साथ तुम मेरे तो नित इतवार हो जाऊँ !!