एक अजीब सी चल रही ये लहर है,
हर तरफ बिमारी का कहर है !!
अब तो हवा में भी मिल रहा ज़हर है,
मातम में घिर चुका हर शहर है !!
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कब तलक दौड़ता रहूँगा,
बिना मंज़िल हवा की तरह
हर खोखली परंपरा को तार-तार कर,
अंधविश्वासों की किताब,
मैं अब जला डालूँगा !!
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