परित्यक्त प्रेम का अभिलाषी बन कर,
कौन जिए,
कब तक बैठोगी, मृगनयनी एकांत को,
मन में, मौन लिए,
कॉलेज क्लास खत्म करके,
तुम्हारा यूँ, घर ना जाना,
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ख़त से तुम्हारें,
एक कहानी याद आती है,
मुड़ते-जुड़ते,
तुम्हारें क़दमों की रवानी याद आती है,
दिन जो जुड़-जुड़ के कई बरस हो चले है अब,
लिखता हूँ तुम्हें तो जवानी याद आती है !!
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