Poems

Chulhaa Maa Aur Main - Maatr Prem Par Hindi Kavita
Poems
Aman Jha

गाँव छोड़ शहर आए कई वर्ष हो गए
एक धुंधली सी याद आज भी
मेरे ज़हन में रह गई है कहीं
बचपन में जब भी
माँ कपड़े या बर्तन धोने बाड़ी में जाती
मैं जल्दी से रसोई घर में घुस जाता
कढ़ाई चढ़ा कर चूल्हे पर मैं रोज
उसे जलाने की कोशिश करने लगता था
पर कुछ ही समय में मुझे यकीन हो चला था

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Main Deshdrohi Hu - Deshbhakti Patriotic Hindi Kavita Shayari
Poems
Aman Jha

मैं पढ़ता भी हूँ और पढ़ाता भी हूँ,
सत्ता से सवाल करना सिखाता भी हूँ,
तर्कवादी बने के लिए उकसाता भी हूँ,
सत्ता से संघर्ष ही धर्म हैं बतलाता भी हूँ,
इसलिए मैं देशद्रोही कहलाता हूँ !!

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