यह कविता एक उस कहानी पर आधारित है,
जो काफी पहले हमने सुनी थी, शायद आप लोगो ने भी सुनी हो।
मेरे लिए यह सिर्फ एक कविता ही नही बल्कि मेरी तरफ से उन चरणों की
वंदना है जिसकी तुलना इस संसार में किसी से नही की जा सकती। कविता कुछ इस प्रकार है –
एक दिन कक्षा में मास्टर जी आए,
आकर वो जोर से चिल्लाए !!
बोले, बच्चों देना ध्यान-
एक जटिल काम है आया,
कोई न उसको कर पाया।
जो भी कोई स्वर्ग की मिट्टी लाकर देगा मुझको,
बिना पढ़े ही इम्तहान में पास कर दूंगा उसको !!
सुनकर के सब हैरान,
सारे बच्चे अब परेशान !!
कौन मरकर ऊपर जाए,
स्वर्ग से मिट्टी लेकर आए !!
बुद्धिमान एक बालक ने युक्ति तभी लगाई,
अगले दिन वो मिट्टी लेकर आया देखो भाई !!
मास्टर ने उसको छिटकारा,
मुझे बेवकूफ बनाता है, निक्कमा है तू नाकारा !!
कहाँ से लाया है ये मिट्टी उठाकर,
वापिस फेंक आ इसको जाकर !!
रोते रोते बालक बोला –
सारे देव, सारी दुनिया,
जिन चरणों को ध्याते हैँ,
ये रज धूल मात-पिता की,
जहाँ सारे स्वर्ग समाते हैँ।
उत्तर सुन मास्टर जी
गदगद हुए,
लगाया बालक को गले !!
बोले- धन्य धन्य तेरे मात-पिता,
धन्य धन्य तू बालक है !!
मात-पिता ही रूप ईश्वर का,
वे ही सृष्टि के पालक है।
Written By: Devansh Raghav
आहा…. बहुत अच्छे विचार …और धन्य धन्य वो मात – पिता जिसका तू बालक है….
Hmmm dhanyawaad……. Hardik aabhar
वाह ! बहुत अच्छे …. एक कहानी को कविता के माध्यम से पढ़कर आनंद आ गया ….
Dhanyawaad ji.. …. Bilkul bas yeah bhi ek Prayaas tha.. ….jo safal hua. …..