Author Archive for: NiVo (Nitin Verma)
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आजकल की रिश्तेदारी
कैसी तवायफ हो चली है !!
जिधर देखे पैसा
उधर हो चली है !!
जरूरी नहीं, ग़लतफ़हमियाँ ही कारण बने !
खामखां की जिद्द भी
बहुत अच्छा फ़र्ज़ निभाती है
रिश्तें को बिखेरने में !!
चुनावी माहौल है,
वो जाती धर्म के नाम पर बांटता रहेगा…
किन्तु तुम
अनेकता में एकता पर अड़े रहना…
गरीबों से सच में लगाव है ?
या फिर इसलिए कि चुनाव है !!
मैंने उसे,
और उसने मुझे चुना !!
और इस तरह मुकम्मल,
इश्क का चुनाव हुआ !!
हर बात पर वो मुस्कुराती थी,
अपनी अदाओं पर इतराती थी !!
दिल चीर उसे क्या दे दिया,
वो पगली खिलौना समझ बहलाती थी !!
साबुन की रेल गाड़ी,
कमाल का जादुई बिछोना था !!
गज़ब का था वो बचपन,
जब हर ख्वाब का एक खिलौना था !!
हर बार हिचकियाँ आए ये जरूरी तो नही,
लेकिन तह दिल से तुम्हे याद करते है !!
जान न ले ले कहीं ये हिचकियाँ तुम्हारी,
न आने की भी हम ही फरियाद करते है !!
मैं खुश हूँ
या था ?
वजह दोनों की
हम खुद ही है!