तुम राधा और मैं कृष्ण

मिले है बोहोत हम, पर आज मिलो कुछ ऐसे,
बाहों की गर्माहट से पिघल जाऊं जैसे !!
घोलकर रंग सुर्ख लाल लगाऊँ ऐसे,
तुम राधा और मैं कृष्ण बन जाऊं जैसे !!

हर पल, हर लम्हा बड़ा अज़ीज़ हो,
भांग से बढ़कर इश्क़ तुम्हारा लज़ीज़ हो !!
तुम्हें भी प्रेम रस पिलाऊँ कुछ ऐसे,
प्यासे को समंदर की तलाश हो जैसे !!
संग तुम्हारे मैं भी तर जाऊँ ऐसे,
तुम राधा और मैं कृष्ण बन जाऊं जैसे !!

हर रंग, गुलाल में मुख़्तलिफ़ एहसास हो,
गुज़र न सके फ़िज़ा हम इतने पास हो !!
फिर इश्क़ की बरसात हो कुछ ऐसे,
त उम्र की थकान मिट जाए जैसे !!
इश्क़ की होली तुम्हारे संग खेलूँ ऐसे,
तुम राधा और मैं कृष्ण बन जाऊं जैसे !!

हर तरफ, हर जगह माहौल सरशार हो,
नशा-ए-मोहब्बत हवा में बेशुमार हो !!
पिचकारी से भी पानी निकले कुछ ऐसे,
सावन की पहली बरसात की बूंदे जैसे !!
उन बूंदों से सतरंगी चुनर कर जाऊँ ऐसे,
तुम राधा और मैं कृष्ण बन जाऊं जैसे !!

आज शाम भी, रात भी रंगीन हो,
आज तुम पहले से ज्यादा हसीन हो !!
तुम्हारे अंग अंग पर रंग लगाऊँ ऐसे,
तुझमे आज खुद घुल जाऊँ जैसे !!
रूहानी मोहब्बत का बंधन बाँधू ऐसे,
तुम राधा और मैं कृष्ण बन जाऊं जैसे !!
©नीवो

NiVo (Nitin Verma)
Share This

आप भी पोएम्स बकेट पर
अपनी लिखी पंक्तियाँ भेज सकते है.

कैसा लगा ? नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर बताइए!

0 Comments

Leave a reply

Made with  in India.

© Poems Bucket . All Rights Reserved.

Log in with your credentials

or    

Forgot your details?

Create Account