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दाग है चाँद में , तुम चाँद तो नहीं ,
लेकिन ! चाँद की चांदनी सी हो तुम , !!
गयाब हो जाता जुगनू , तुम जुगनू तो नहीं ,
लेकिन ! जुगनू की रौशनी सी हो तुम !!
अल्फाज़ कम है तारीफ -ऐ -हुस्न करने को ,
बस जानतें है इतना
मैं एक कोरा कागज़ और
उस पर लिखी एक शायरी सी हो तुम !!
~नितिन वर्मा
Daag hai chand mein, tum chand to nahi,
lekin! chand ki chandni si ho tum!!
gayab ho jaata jugnoo, tum jugnoo to nahi,
lekin! jugnoo ki roshni si ho tum!!
alfaz kam hai tarif-e-husn karne ko,
bas jaante hai itna-
main ek kora kagaz aur
us par likhi ek shayari si ho tum!!
~Nitin Verma