चुनावी माहौल है,
वो जाती धर्म के नाम पर बांटता रहेगा…
किन्तु तुम
अनेकता में एकता पर अड़े रहना…
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मैंने उसे,
और उसने मुझे चुना !!
और इस तरह मुकम्मल,
इश्क का चुनाव हुआ !!
हर बात पर वो मुस्कुराती थी,
अपनी अदाओं पर इतराती थी !!
दिल चीर उसे क्या दे दिया,
वो पगली खिलौना समझ बहलाती थी !!
चल चले,
कहीं खो चले,
फिर ना कभी,
इस ओर मुड़े !!
…
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साबुन की रेल गाड़ी,
कमाल का जादुई बिछोना था !!
गज़ब का था वो बचपन,
जब हर ख्वाब का एक खिलौना था !!
हर बार हिचकियाँ आए ये जरूरी तो नही,
लेकिन तह दिल से तुम्हे याद करते है !!
जान न ले ले कहीं ये हिचकियाँ तुम्हारी,
न आने की भी हम ही फरियाद करते है !!
मैं खुश हूँ
या था ?
वजह दोनों की
हम खुद ही है!
ज़रा सा तुम बदल जाओ,
ज़रा सा हम बदल जाए !!
भूल कर पुरानी बातें,
एक बेहतर कल बनाए !!
वो दीवानी गेम ऑफ थ्रोन्स की,
मैं दीवाना कुमार विश्वास का !!
राह बहुत कठीन है अपनी,
कैसे इज़हार करूँ यार एहसास का !!
लगन की आग
सुलगाते सुलगाते !!
जलन की आग कब भड़क उठी
पता ही न चला !!