Author Archive for: Lokesh Gautam(Keshav)
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दुनिया में इंसान खुद को ऐसे उठाना चाहता है।
हर एक शख्स यहाँ दूसरे को गिराना चाहता है।
भीतर पल रही नफ़रत की आग मन में, “केशव”
लेकिन मीठी बातों से प्यार दिखाना चाहता हैं।


गिरते-गिरते भी चलना जरूरी हैं।
हर क़दम पर संभलना जरूरी हैं।
माना एक गहरा दरिया हैं ज़िन्दगी,
मगर हर हाल में गुजरना जरूरी हैं।
नम आँखों से भी हँसना जरूरी हैं।
मुसीबतों में रोज फंसना जरूरी हैं।
यहाँ दुनिया में कोई ना देगा खैरात,
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सरहद पर तो हम दुश्मन से निपट ही लेंगे यारो,
पहले घर के गद्दारों का सफाया हो तो बात बने।
करते हैं जो चुगली अपने ही देश की बाज़ार में,
इन्हें बाज़ार से बाहर निकाला जाए तो बात बने।
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हालातों के मारे ये कल के उजाले हैं।
शिक्षा आजकल दौलत के हवाले हैं।
कैसे पड़ेगा बच्चा, अगर गरीब होगा,
अमीरों को ही तो पढ़ना नसीब होगा,
दिल इस कारोबार में कितने काले हैं।
शिक्षा आजकल दौलत के हवाले हैं।
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सेना पर शक, शंका, सवाल ना हो,
देश के ख़िलाफ़ कोई जबान ना हो !!
नफरत अपनो से नही दुश्मन से करो,
ताकि हिंदुस्तान मे कोई बवाल ना हो !!


दुनिया की नजरों में, वही शख्स बेचारा हुआ,
हालातों से लड़कर, जो खड़ा ना दोबारा हुआ !!
तेरी ज़िन्दगी तो एक इम्तिहान जैसी है ‘केशव’,
इसमें नाकाम इंसान, कहाँ किसी को प्यारा हुआ !!


मेरी इस शक्ल के पीछे, दबे कई चेहरे हैं,
मुस्कान के नीचे दफन, कई राज गहरे हैं !!
नहीं डरता मैं इन अंधेरे गलियारों से यारों,
क्योंकि इनके सुराखो में छिपे कई सवेरे हैं !!


दिल की ख्वाहिशें मुझे कहाँ तक उड़ाएगी,
ये आसमान की चाहत, ज़मीन भी छुड़ाएगी !!


ख्वाहिश ना कर बहुत कुछ पाने की तू केशव,
तालाब से प्यास बुझा करती हैं, समुंद्रो से नहीं !!