घड़ियाँ तो खरीद लोगे,
वक़्त कहाँ से लाओगे?
रोशनी तो बना ली हैं,
क्या धूप बना पाओगे?
किताबों की मंडी लगी हैं,
अक्ल कहाँ से लाओगे?
पंखे,कूलर तो बना लिए,
क्या हवा बना पाओगे?
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Author Archive for: Lokesh Gautam(Keshav)
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आइने से ज्यादा सच्चा कोई दोस्त नहीं,
मैं रोता हूँ तो ये भी रो पड़ता है !!
रोटी के लिए अपने गाँव से दूर हो जाना,
आसान नहीं केशव तेरा मजदूर हो जाना !!
लगता हैं कोई खूबसूरत फिल्म बना रहा हैं ऊपरवाला,
एक-एक करके अच्छे किरदार चुन रहा है !!
भूख, गरीबी और महंगाई केशव,
मेरे लफ़्ज़ों पर असर कर रही हैं !!
भारत की तरक्की लिखने बैठा हूँ,
कलम रुक-रुक कर चल रही हैं !!
सिनेमा ने बेहतरीन अदाकार खोया हैं,
रंगमंच का दुलारा कलाकार खोया हैं !!
बड़ी आँखों से बहुत कुछ कह देने वाला,
हिन्दुस्तान ने अजीज़ इरफान खोया है !!
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परिंदे साफ आसमां देख रहे हैं,
हरी भरी डालियों पर चहक रहे हैं !!
प्रकृति के बच्चों का सम्मान हुआ हैं,
देश में मेरे लॉकडाउन हुआ हैं !!
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गलतियों से भी तुम सीखते रहो,
उम्र में तजुर्बां हमें इसी से आता हैं !!
राहें पहचान जातें हैं, भटकते हुए,
सही गलत का फर्क इसी से आता हैं !!
रिश्तें ज्यादा याद नहीं रहते लोगों को,
अपनों को भूल जाने का दौर देखा हैं !!
मदद करती तो हैं ये दुनिया लेकिन,
एहसान जताने का यहाँ शोर देखा हैं !!
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मेरी आँखों में लिखी एक कहानी हैं,
समझ जाए तू अगर तो मेहरबानी हैं !!
ग़म दे या खुशी तू अब इस दिल को,
दोनों ही अपने इश्क़ की निशानी हैं !!