Archive for category: शायरी
नमक और मलहम दोनों हैं तुम्हारे पास,
ज़ख्म पर क्या लगाते हों, तुम ही जानो !!
दोस्त बनते हो या दुश्मन, तुम दुनिया के,
अपने और पराए का फर्क, तुम ही जानो !!
ख़ुद को खोकर
ख़ुद को ही ढूँढती हूँ मैं
दूर से आती हुई आवाज़
सुनकर
बहुत देर तक कुछ सोचती हूँ
उस अकेलेपन को
जो शांत है
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तलवार और चाकू की नहीं हैं जरूरत,
आंखों की ये तेरी नजर जानलेवा हैं !!
कानों की बालियों में जो तू हाथ फिराए,
तेरी ये नखरे वाली अदाएं जानलेवा है !!
पथ में कांटें हैं, रुकावटें हैं, फिर भी चलो तो सही,
हिम्मत को तलवार बना, एक कदम बढ़ो तो सही !!
डूब रहा है सूरज और देखो अँधेरा घिरने लगा,
बना के मन को रोशनी, अंधेरों से लड़ो तो सही !!
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तेज धूप में तड़पते भूखें पेट को,
राह-राह बड़े पेड़ पर ऊँचे लगे खजूर दिखाए !!
ख़जूर तक पहुँच न सके हाथ जिनके,
पाठ उनको भी आत्मनिर्भर का हुजूर सिखाए !!
कैसे पलटने दूँ तुम्हें, अपनी मोहब्बत के पन्ने,
जनाब ये दिल की बात है,अखबार थोड़े हैं !!
रहे दफन मेरा इश्क़ मेरे अंदर, तो अच्छा हैं,
मातम का माहौल हैं भीतर, त्यौहार थोड़े हैं !!
वक़्त ऐसा आया कि
सिर से छत छीन ली गई !!
बच्चे हमारे भूखे है
इन सरकारों से
दो वक़्त की रोटी तक ना दी गई !!
आज दिल वापस
गाँव जाने को जरूर है साहिब !!
हम मजदूर है साहिब !!
किस्मत के आगे मजबूर है साहिब !!
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मेरा उसने और उसका मैंने,
अभी भी बहुत कुछ सम्भाल रखा है !!
कुछ इस तरह हम दोनों ने एक-दूसरे को,
आधा-आधा बाँट रखा है !!
मेरी माँ की सूरत फकीरों सी,
जो दे गई लकीरें वाजूदों सी,
मैं कितनी बात लिखूँ उसकी,
लफ्ज़ खत्म हो जाए अमीरी के।
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