ठहर जा, कुछ पल ए-ज़िन्दगी,
क्यों, इतनी तेजी से गुज़र रही है !!
लम्हा-लम्हा, हर घड़ी,
बीती यादों में, बदल रही है !!
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एक तारा कल टूटा था अम्बर से,
आसमां का रंग पूरा बदल चुका था !!
सोए थे इसी आस में कि होगी नई सुबह,
पर आँखें खुली तो सूरज ढल चुका था !!
रेशमी डोर से बंधी ये ज़िन्दगी मेहमान सी है,
इक चिराग़ बिन सल्तनत पूरी वीरान सी है !!
गर मैं मुस्कुराऊँ खुशी में या अपने गम में कभी,
तो कह दें कोई कि मुस्कान मेरी इरफान सी है !!
भूख, गरीबी और महंगाई केशव,
मेरे लफ़्ज़ों पर असर कर रही हैं !!
भारत की तरक्की लिखने बैठा हूँ,
कलम रुक-रुक कर चल रही हैं !!
सिनेमा ने बेहतरीन अदाकार खोया हैं,
रंगमंच का दुलारा कलाकार खोया हैं !!
बड़ी आँखों से बहुत कुछ कह देने वाला,
हिन्दुस्तान ने अजीज़ इरफान खोया है !!
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अपने फायदा और नुकसान के
हिसाब से रिश्ते बनाते और बिगाड़ते हो,
मोहब्बत में वासना, यारी में लालच,
तुम लोगो पर हावी रहता हैं,
शायद इसलिए तुम लोगो का
मन इतना मैला रहता हैं !!
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घर में जो कैद है
उनकी तो फिर भी
बस एक वक़्त की रात है !!
घर से दूर कार्मिकों की,
और भूख से तड़पते गरीबों की,
इनकी तो पल-पल काली रात है !!
परिंदे साफ आसमां देख रहे हैं,
हरी भरी डालियों पर चहक रहे हैं !!
प्रकृति के बच्चों का सम्मान हुआ हैं,
देश में मेरे लॉकडाउन हुआ हैं !!
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बेटी जिस दिन पिता के घर जन्म लेती है,
घर में लक्ष्मी का वास कर देती है !!
हाँ जनाब ये नारी पिता पे बोझ नहीं,
ये तो खुशियों से उनकी झोली भर देती है !!
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परित्यक्त प्रेम का अभिलाषी बन कर,
कौन जिए,
कब तक बैठोगी, मृगनयनी एकांत को,
मन में, मौन लिए,
कॉलेज क्लास खत्म करके,
तुम्हारा यूँ, घर ना जाना,
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