गाँव छोड़ शहर आए कई वर्ष हो गए
एक धुंधली सी याद आज भी
मेरे ज़हन में रह गई है कहीं
बचपन में जब भी
माँ कपड़े या बर्तन धोने बाड़ी में जाती
मैं जल्दी से रसोई घर में घुस जाता
कढ़ाई चढ़ा कर चूल्हे पर मैं रोज
उसे जलाने की कोशिश करने लगता था
पर कुछ ही समय में मुझे यकीन हो चला था
…
पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे!
सपनों को अपने तुम मन में छुपा लेती हो,
मेरी एक मुस्कान देख ख़ुशी पा लेती हो,
हर ज़िम्मेदारी को बखूबी निभा लेती हो,
माँ तुम कितनी प्यारी हो सब सँवार देती हो!
…
पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे!
राम को रहीम से और
रहीम को राम से
शिकायत है।
होनी भी चाहिए क्योंकि
ये दोनों बरसों-बरस के
साथी रहे हैं।
ऐसे साथी जिनको एक-दूसरे से
अलग कर पाना मुश्क़िल है।
उतना ही मुश्क़िल, जितना
ख़ुद को ख़ुद से अलग करना।
…
पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे!
हालातों के मारे ये कल के उजाले हैं।
शिक्षा आजकल दौलत के हवाले हैं।
कैसे पड़ेगा बच्चा, अगर गरीब होगा,
अमीरों को ही तो पढ़ना नसीब होगा,
दिल इस कारोबार में कितने काले हैं।
शिक्षा आजकल दौलत के हवाले हैं।
…
पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे!
मैं तुझे खोना नहीं चाहती,
तू ज़िन्दगी है मेरी…
एक पल के लिए नही,
एक लम्हें के लिए नही…
ज़िन्दगी भर के लिए,
तू ज़िन्दगी है मेरी…
…
पूरी शायरी पढ़ने के लिए क्लिक करे!