उन्हें इश्क़ होता भी तो कैसे,
अपने ना झूठे वादें थे ना झाँसे !!
उन्हें आखिर रोकता भी तो कैसे,
जिस्म के हम ना भूखे थे ना प्यासे !!
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शायरी
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चाहा था जिसे, चाहते है जिसे,
कुछ एहसास थे, वो उन्हें याद नहीं !!
बेकार है हम, झूठे है हम,
कुछ तो याद है इन्हें, चलो इतना याद सही !!
अगस्त 13, 2019
7:59 अपराह्न
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वक़्त बे वक़्त शाम भी होगी,
ज़ुल्फ़ों को चहेरे पर ज़रा बिखराओ तो !!
अधूरी चाहते तमाम भी होगी,
अपने लबों को ज़रा नज़दीक लाओ तो !!
अगस्त 9, 2019
12:59 अपराह्न
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दिखता नहीं चेहरा पूरा बस,
मोबाइल और नज़रे नज़र आती हैं !!
वो शीशे के सामने वाली सेल्फ़ी,
अक्सर दिल में हलचल कर जाती है !!
अगस्त 9, 2019
12:48 अपराह्न
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